जिसने कभी करीबी बढाई,
आज वही हमसे दूर जा रहा है।
जिसने कभी था हसना सिखाया,
आज वही रोने पर मजबूर कर रहा है।
कभी थे हम जिसके सहारे,
वही आज मुझे अकेला छोड़कर जा रहा है।
जिसकी एक आहट पर, खिल उठता था रोम-रोम,
आज वही बेबसी की दास्ताँ सुना रहा है।
जिसने कभी था जीना सिखाया,
आज वही खुद को कमज़ोर महसूस कर रहा है।
अजीब इत्तेफ़ाक है...
3 comments:
अजीब इत्तेफ़ाक है।
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आपका अपना ब्लॉग एग्रीगेटर apnivani.com बस थोडा सा इंतज़ार करिए और कुछ ही दिनों में हमारे बीच आने वाला है ब्लॉग जगत का नया अवतार apnivani.com...
वाकेई में मनोज जी
ये मेरे लिए एक अजीब इत्तेफ़ाक ही है.
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